केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से वापस ली याचिका

Date: 2024-03-22
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केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को लेकर दाखिल की  गई याचिका वापिस ले ली। फिलहाल इस सुनवाई की याचिका के वापिस लेने के पीछे जो तर्क दिए जा रहे हैं उससे इतर कानूनी  गलियारों में ये तर्क दिए जा रहे हैं। कानूनी जानकारों का कहना है कि दरअसल आम आदमी पार्टी ने जिस आधार पर अपनी याचिका वापिस ली है उसमे के कविता का भी एक बड़ा फैसला सामने आ रहा है। 

क्योंकि के. कविता की सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया गया था। कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि केजरीवाल ने सियासी नजरिए से यह बड़ा दांव चल कर अपनी अगली चाल सुरक्षित कर ली है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईडी से गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका को वापस ले लिया है। हालांकि कोर्ट ने पहले इस मामले में सुनवाई के लिए हामी भर दी थी। इसके लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच को मामला सौंपा था। 

हालांकि, दिल्ली सीएम के अब इस मामले में निचली अदालत में जाने की बात कही है। कानूनी मामलों के जानकार और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुमित वर्मा कहते हैं कि दरसल केजरीवाल की लीगल टीम का यह कदम बिल्कुल उचित है। उनका कहना है कि केजरीवाल के मामले को जिस बेंच में बढ़ाया गया था वही बेंच के कविता की सुनवाई कर चुकी है।

सुमित वर्मा कहते हैं कि उसी बेंच ने के. कविता मामले की सुनवाई करते हुए उनकी याचिका खारिज कर निचली अदालत में भेज दिया था। ऐसे में अगर अरविंद केजरीवाल का मामला उसी बेंच में जाता तो इसकी संभावनाएं भी पुराने आधार पर निचली अदालत में भेजे जाने की बढ़ जाती। 

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कहते हैं कि जब ही एक ही मामले को एक ही बेंच में एक और पक्ष जाता है तो उसमे दूसरा फैसला आने की संभावनाएं कम हो जाती है। सुमित कहते हैं कि संभव है के कविता की मामले की सुनवाई और फैसले को देखते हुए ही केजरीवाल की लीगल टीम ने सूझबूझ का फैसला लिया और ट्रायल कोर्ट की ओर रुख कर लिया। जहां उनकी सुनवाई भी होनी है।

कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि केजरीवाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद ईडी ने भी सर्वोच्च न्यायालय में एक कैविएट दाखिल की थी। इसमें एजेंसी ने मांग की थी कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के केस में उसकी बात भी सुनी जाए। हालांकि अब इस मामले में निचली अदालत से सुनवाई की बाद आगे की कोर्ट में जाने की प्रक्रिया जरूरत पड़ने पर की जा सकती है।

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