अयोध्या में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा होने के उपलक्ष्य में काशी की सनातनी संस्था ब्रह्मराष्ट्र एकम 45 दिवसीय श्री राम पद यात्रा का आयोजन किया था।
यात्रा प्रमुख डॉ सचिन सनातनी ने बताया की ये यात्रा 2 फरवरी, 2024 से काशी से प्रारंभ होकर अयोध्या होते हुए श्रीलंका तक जाने वाली 45 दिवसीय पग यात्रा हैँ । प्रभु श्री राम जी के पग जिन जिन स्थलों पर पद चिन्हों के रूप में पड़े थे उन मार्गो से होकर गुज़री है। सनातनी ने ये भी बताया की यात्रा में भगवान राम के आदर्शों, मूल्यों एवं उनके सुशासन के विषय में प्रबुद्ध जनों से विचार साझा किया गया है और यह बताने का प्रयास है की भारत की सनातन संस्कृति में अति प्राचीन शिक्षा प्रणाली के तहत गुरुकुल व्यवस्था का अमूल्य योगदान रहा है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने उसी शिक्षा व्यवस्था से शिक्षा हासिल कर श्रृष्ट गुरु शिष्य परंपरा की परिकल्पना को साकार करते हुए निशाचरों का नाश किया और राम राज्य की स्थापना कर हजारों वर्ष सुख शांति और संपन्नता के साथ जाति भेदभाव को मिटाया। इसी भाव को लेकर ये संस्था गुरुकुल परंपरा को पुनः स्थापित करने का पूरे भारत में अपना योगदान कर रही है।
श्री राम पग यात्रा अयोध्या, श्रृंगवेरपुर, प्रयागराज, चित्रकूट, सतना (म०प्र०), नागपुर, नाशिक, बैंगलोर, लेपाक्षी, बेलूर, हासन, मैसूर, त्रिची, रामनाथपुरम, रामेश्वरम और श्रीलंका तक कि यात्रा पूर्ण करके मुंबई, वडोदरा, सोमनाथ, अहमदाबाद, जयपुर के मुख्य धार्मिक स्थलों में दर्शन करते हुए यात्रा नई दिल्ली पहुंची । यहां राम पग यात्रियों का भव्य स्वागत अभिनंदन किया गया । यहां यात्रा ने प्राचीन हनुमान मंदिर कनॉट प्लेस में दर्शन पूजन किया और शोभायात्रा भी निकाली जिसकी अगुवाई नई दिल्ली यात्रा संयोजक सूरज मणी जी, प्रख्यात कवि गजेंद्र सोलंकी जी, डॉ पी.के. त्रिपाठी जी और उपेन्द्र मिश्र जी द्वारा की गई।
यहां हजारों की मात्रा में राम भक्त यात्रा में शामिल रहे। यह यात्रा 2 देश, 10 राज्य, 200 से अधिक स्थानों से होकर श्रीलंका तक गयी और फिर शेष भारत में मुंबई, बड़ोदरा, सोमनाथ, अहमदाबाद, जयपुर, नई दिल्ली, मथुरा, आगरा, लखनऊ के रास्ते होते हुए काशी (वाराणसी) में पूर्ण करेगी । पूरी यात्रा लगभग पंद्रह हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
इस संस्था द्वारा अनवरत धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक कार्य किए जाते हैं जो की सनातन धर्म के प्रचार प्रसार संग देश की संस्कृति व धरोहर को बचाए रखने के लिए कार्यरत है। यह यात्रा विशुद्ध रूप से धार्मिक एवं भगवान श्री राम जी के प्रति आस्था और भक्ति का प्रतीक है और पूरे भारत में इस एतिहासिक यात्रा में लाखो की संख्या में भक्तगण जगह जगह शामिल होते जा रहे है । यात्रा के मुख्य आयोजक डॉ. सचिन सनातनी जी हैं साथ में यात्रा का संकल्प लेकर चल रहे है मुख्य रूप से आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के महंत श्री लिन्गिया महाराज जी, प्रिया मिश्रा, कुशाग्र मिश्र, पवन सूर्यवंशी समेत सैकड़ो लोग उपस्थित रहें ।
यह यात्रा राजनैतिक न होकर स्वायत्त और धार्मिक व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करती है । इस यात्रा का संकल्प राष्ट्र को एकता अखंडता और समानता के सूत्र में बांधने का प्रयास है । संस्था का उद्देश्य सभी जाति, वर्ग और संप्रदाय के लोगो को एकता के सूत्र में बांधने का सतत प्रयास है । यह यात्रा केवल और केवल प्रभु श्री राम के प्रति आस्था का प्रतीक है।
अतः भारत के सभी सनातनियो और श्री राम भक्तो से निवेदन है कि अधिक से अधिक मात्रा में इस यात्रा के साक्षी बनें साथ ही अपनी सनातन संस्कृति व धरोहर को बचाने में अपना सहयोग दें जिससे भारत को श्रेष्ठ और सशक्त विश्व गुरु के रूप में स्थापित किया जा सके।