एक अधिकारी ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस के भगोड़े नेता शाहजहां शेख के करीबी सहयोगी माने जाने वाले मैती को नगर निगम के एक स्वयंसेवक के आवास से रविवार शाम को हिरासत में लिया।
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित संदेशखाली गांव इन दिनों चर्चा में है। गांव की महिलाओं ने आरोप लगाया है कि टीएमसी नेता शाहजहां शेख ने उनकी जमीन पर कब्जा करने के साथ-साथ कुछ महिलाओं के साथ यौन शोषण भी किया है। बंगाल की पूरी सियासत अभी संदेशखाली के ईर्दगिर्द भटक रही है। इस बीच, बंगाल पुलिस ने रविवार को संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता अजीत मैती पर कार्रवाई की है। मैती को ग्रामीणों की जमीन कब्जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
एक अधिकारी ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस के भगोड़े नेता शाहजहां शेख के करीबी सहयोगी माने जाने वाले मैती को नगर निगम के एक स्वयंसेवक के आवास से रविवार शाम को हिरासत में लिया। आरोपी ने ग्रामीणों के पीछा करने के बाद चार घंटे से अधिक समय तक खुद को यहां बंद रखा था।
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमने ग्रामीणों की जमीन हड़पने की शिकायत मिलने के बाद उसे गिरफ्तार किया है। वहीं, शाहजहां शेख के खिलाफ 70 से अधिक शिकायतें मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज की। ज्यादातर शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि शाहजहां ने उनकी जमीन पर कब्जा करने के साथ-साथ कुछ महिलाओं के साथ यौन शोषण भी किया।
लोगों को जब पता चला कि मैती शाहजहां शेख का करीबी सहयोगी है तो गुस्सा भड़क गया और उस पर हमला कर दिया था, जिसके बाद वह एक घर में चार घंटे तक छिपा रहा। तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को लगातार दूसरे दिन संदेशखली का दौरा किया और सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय नेताओं द्वारा कथित अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों की शिकायतें सुनीं, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की।
टीएमसी नेता अजीत मैती ने कहा, 'मैं बार-बार हाथ जोड़कर अनुरोध कर रहा हूं कि अगर मैंने किसी की जमीन या पैसा लिया है, तो पुलिस को शिकायत दें। अगर मैंने कोई गलती की है तो मैं माफी मांगूंगा। अगर मेरे खिलाफ कोई सबूत मिलता है तो मैं जिम्मेदारी लूंगा।'
संदेशखाली की घटना पर भाजपा सांसद दिलीप घोष ने कहा, 'संदेशखाली में जो हो रहा है वह सिर्फ एक ट्रेलर है। इसी तरह की घटनाएं पश्चिम बंगाल के हर गांव में होने जा रही हैं। ममता बनर्जी और टीएमसी शाहजहां शेख को बचा रही हैं। सभी टीमों और प्रतिनिधिमंडलों को संदेशखली जाने से रोका जा रहा है और ममता बनर्जी को लगता है कि इस तरह वे इस घटना को दबा सकती हैं, लेकिन यह संभव नहीं है।