खेकड़ा
बडागांव के त्रिलोक तीर्थ परिसर में आयोजित धर्मसभा में ब्रह्मलीन विद्यासागर महाराज को विनयांजलि दी गई तथा उनके अनुयायियों ने जैन तीर्थ चन्द्रगिरी छत्तीसगढ जाने का निर्णय लिया, जहां
जैनमुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज 18 फरवरी को ब्रह्मलीन हो गए थे ।उन्होंने विधिवत् सल्लेखना धारण कर छत्तीसगढ के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी जैन तीर्थ में देह त्यागा था व उनके अनुयायियों ने वहीं पर आचार्य श्री का अंतिम संस्कार किया था।
रविवार को बडागांव के त्रिलोक तीर्थ परिसर में स्याद्वाद युवा क्लब के तत्वाधान में समाधिस्थ संत को विनयांजलि दी गई। सभा णमोकार मंत्र से प्रारम्भ हुई। विशेष आयोजन में आचार्य त्रिलोकभूषण महाराज ने कहा कि ,आचार्य विद्यासागर महाराज एक उत्कृष्ट व उच्च कोटि के संत थे। उन्होंने अपनी साधना व तपस्या से जन जन का कल्याण किया।
सभा मे आर्यिकाश्री मुक्ति भूषण माता, आर्यिका दृष्टि भूषण माता, आर्यिका अनुभूति भूषण माता ने आचार्य श्री के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। धर्म सभा में त्रिलोक मंदिर के प्रबंधक त्रिलोक चंद जैन, स्यादवाद युवा क्लब के अध्यक्ष शैलेश जैन ने भी विचार व्यक्त किए। उनके अनुयायियों ने जैन तीर्थ चन्द्रगिरी छत्तीसगढ जाने का निर्णय लिया। समापन महावीर वंदना से हुआ।