कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र शासित प्रदेश लेह में सोमवार को सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर लोगों से सोशल डिस्टेंसिग बनाए रखने की अपील की गई है। लेह में पिछले हफ्ते 11 नए मामले दर्ज किए गए थे, जिसको देखते हुए ये फैसला लिया गया है।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने जारी आदेश में कहा, लोगों को सार्वजनिक परिवहन सहित कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनना सुनिश्चित करना होगा। कोरोना के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए ये उपाय आवश्यक है।
भारत में जिन दस राज्यों में नए JN.1 वैरिएंट से संक्रमितों की पुष्टि की गई है, उनमें केरल और गोवा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। केरल में JN.1 से 83 और गोवा में 51 लोगों को संक्रमित पाया गया है। इसके अलावा गुजरात में (34 मामले), कर्नाटक (8 मामले), महाराष्ट्र (8 मामले), राजस्थान (5 मामले), तमिलनाडु (4 मामले) और तेलंगाना में 2 मामले सामने आए हैं। इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा और दिल्ली में अब तक एक-एक व्यक्ति को नए वैरिएंट का शिकार पाया गया है।
महाराष्ट्र में 2.09 प्रतिशत की सकारात्मकता दर के साथ कोविड-19 के 70 मामले दर्ज किए गए, जबकि रविवार को 131 मामले सामने आए थे। एक अधिकारी ने बताया कि किसी की मौत की सूचना नहीं है लेकिन राज्य में 693 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से 42 अस्पतालों में हैं, भर्ती लोगों में से नौ आईसीयू में हैं और 33 गैर-आईसीयू वार्ड में हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना के कारण नौ लोगों को आईसीयू में रखा गया है, ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या JN.1 वैरिएंट के कारण गंभीर रोगों का खतरा भी बढ़ रहा है? इस बारे में मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि आईसीयू में भर्ती ज्यातार लोग कोमोरबिडिटी के शिकार हैं, जिनमें पहले से ही कुछ प्रकार की क्रोनिक समस्याएं जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, किडनी, लिवर या फेफड़ों की बीमारी है।
अब तक के शोध से पता चला है कि नया वैरिएंट संक्रामक जरूर है पर इसके कारण लोगों में रोग की गंभीरता का जोखिम अधिक नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी कहा है कि भले ही नए वैरिएंट के कारण संक्रमण की रफ्तार अधिक देखी जा रही है पर इससे वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम "कम" है।
ओमिक्रॉन के BA. 2.86 की तुलना में JN.1 वैरिएंट में एक अतिरिक्त म्यूटेशन है। हालांकि यह पूर्व के ओमिक्रॉन वैरिएंट्स जैसे ही लक्षण पैदा करता है। JN.1 से संक्रमित लोगों में बुखार, बहती नाक, गले में खराश, सिरदर्द और कुछ मामलों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं देखी जा रही हैं। कुछ मरीजों को सांस लेने में कठिनाई का भी अनुभव हो सकता है। ये सभी लक्षण पहले के वैरिएंट्स में भी देखे जाते रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वर्तमान में, ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह दर्शाता हो कि यह वैरिएंट अधिक गंभीर है या अन्य वैरिएंट की तुलना में इसकी मृत्यु दर अधिक है। सभी लोगों को बचाव के उपायों में कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।