डा अमित राय जैन द्वारा लिखित पुस्तक 'सावरकर एडवोकेट आफ हिंदूत्व' का विश्व पुस्तक मेले में लोकार्पण

Date: 2024-02-16
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वीर सावरकर स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के बीच थे एक हिंदुत्ववादी चेहरा :मुकुल कानिटकर 
वीर सावरकर के महान व्यक्तित्व को सही रूप में पेश किया गया: अमित राय जैन 
लाल बहादुर शास्त्री को समझौते के लिए ताशकंद जाने से मना किया था सावरकर ने: मिलिंद मराठे

बागपत।धर्म,समाज, साहित्य,शोध, पुरावशेष समीक्षा,उत्खनन के साथ ही शोधपूर्ण पुस्तकें देने वाले डा अमित राय जैन दुनिया भर में जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में डॉ अमित राय जैन द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित एवं किताब वाले प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित, 'सावरकर- एडवोकेट आफ हिंदूत्व' का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख चिंतक मुकुल कानिटकर एवं प्रख्यात पत्रकार बलबीर पुंज द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। 

लोकार्पण समारोह में उपस्थित बुद्धिजीवियों एवं पुस्तक प्रेमियों को संबोधित करते हुए मुकुल कानिटकर ने कहां कि, देश के आजादी आंदोलन के हजारों नायकों के बीच हिंदूवादी चेहरे के रूप में वीर सावरकर अलग नजर आते हैं। वीर सावरकर एक ऐसे महान चिंतक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के केंद्र ब्रिटेन में ही जाकर विदेशी हुकूमत के विरुद्ध एक वातावरण तैयार किया था। 

कहा कि, वीर सावरकर का हिंदुत्व कोई हिंदू राष्ट्र बनाने की अवधारणा लिए हुए नहीं था, वीर सावरकर की मान्यता थी कि संपूर्ण विश्व का हिंदू समाज भारत के आजादी आंदोलन के साथ एकजुट होकर जुड़े और विदेशी हुकूमत का मुकाबला करें।कहा कि वीर सावरकर के जीवन आदर्श चिंतन एवं साहित्यिक कार्यों को एक स्थान पर समाहित करते हुए पुस्तक लिखकर इतिहासकार अमित राय जैन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया है। 

सावरकर एडवोकेट आफ हिंदूत्व पुस्तक के लेखक डॉ अमित राय जैन ने कहां कि पुस्तक के लेखन में उन्हें 3 वर्ष लगे हैं। वीर सावरकर पर पिछले वर्षों में कई सारी पुस्तक लिखी गई, परंतु इस एक पुस्तक में वीर सावरकर का जीवन, उनके संघर्ष, जेल यात्राएं, हिंदू समाज को एकजुट करने के लिए उनके प्रयास एवं आजादी के पूर्व एवं पश्चात के उनके सभी कार्यों के साथ-साथ, उनका चिंतन कविताएं, लेखन भी एक स्थान पर पढ़ने को मिलेगा ।

समारोह को संबोधित करते हुए नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष मिलिंद मराठे ने कहा कि सावरकर के समय में हिन्दुत्व के रास्ते में जातीयता बड़ी बाधा थी। इसलिए वह जातिविहीन हिन्दुत्व के हिमायती थे। मराठे ने बताया कि सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को समझौते के लिए ताशकंद जाने से मना किया था। फिर भी न जाने किसके दबाव से शास्त्री जी वहाँ गए ,नतीजा सामने है। मंच संचालन राकेश मंजुल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन किताबवाले प्रकाशन के प्रबंध निदेशक प्रशांत जैन ने किया।

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