जीवित दाता से अंग लेकर प्रत्यारोपण करने के मामले में भारत ने अमेरिका सहित कई देशों को पछाड़कर शीर्ष स्थान हासिल किया है। वहीं, अंग प्रत्यारोपण करने वाले दुनिया के शीर्ष दस देशों में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। इतना ही नहीं 75 वर्षों में पहली बार मृत दाताओं से अंग लेकर प्रत्यारोपण करने में एक हजार का आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि सरकार अंग प्रत्यारोपण के इन आंकड़ों से संतुष्ट नहीं है।
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोट्टो) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि 2023 में भारतीय अस्पतालों ने पहली बार एक साल में 16,941 अंग प्रत्यारोपण किए हैं। इनमें 12,343 किडनी, 4,160 लिवर, 215 हृदय, 189 फेफड़े, 20 पैंक्रियाज और 14 छोटी आंतों के प्रत्यारोपण शामिल हैं लेकिन मरणोपरांत की बात करें तो 16,941 में से 1,062 प्रत्यारोपण ही मृत्यु के बाद प्राप्त अंगों से किए गए।
डॉ. कुमार ने कहा, अभी मरणोपरांत दाता से अंग लेने में भारत बहुत पीछे है। इसके लिए लोगों को देहदान के लिए आगे आना चाहिए।
*मोदी ने मन की बात में कई बार किया जिक्र
डॉ. कुमार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने मन की बात कार्यक्रम में अंगदान और प्रत्यारोपण पर चर्चा की है। उसी का नतीजा है कि भारत ने अमेरिका, इटली, फ्रांस जैसे देशों को अंगदान में पीछे छोड़ दिया। हालांकि सरकार इस उपलब्धि से खुश नहीं है क्योंकि अभी भी देश में मांग और आपूर्ति के बीच काफी अंतर है।
100 में से छह को मिली किडनी
नोट्टो ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि मांग और आपूर्ति के बीच अभी भी बड़ा अंतर है। भारत में हर साल दो लाख किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत है, लेकिन 2023 में 12,343 प्रत्यारोपण हुए जिनमें 1,613 किडनी मृत्यु उपरांत दाताओं से मिली हैं। यानी 100 मरीजों पर करीब छह को किडनी मिली।
डॉ. कुमार का कहना है कि देश में हर साल 80 हजार मरीज हृदय विफलता की वजह से प्रत्यारोपण की सूची में जुड़ रहे हैं लेकिन 2023 में केवल 215 हृदय प्रत्यारोपण हुए। यानी 500 में से किसी एक मरीज को हृदय मिल रहा है। हमारे लिए सबसे जरूरी मरणोपरांत अंगदान है क्योंकि इससे हृदय, फेफड़े, पैंक्रियाज और छोटी आंत सहित कई तरह के अंग लेकर एक बार में कम से कम आठ जिंदगियों को बचाया जा सकता है।