दोघट
क्षेत्र के गाँव धनोरा में कपिल शास्त्री के आचार्यत्व में यज्ञ के माध्यम से विद्या की देवी सरस्वती माँ के प्राकट्य दिवस पर आहुतियां दी गई तथा राष्ट्र के कल्याण के साथ ही युवाओं में बौद्धिक व मानसिक सौहार्द और विकास की कामना की गई।
चौगामा क्षेत्र के गाँव धनोरा में कपिल शास्त्री ने विद्या की देवी सरस्वती माँ की आराधना करते हुए संसार के सर्वोत्तम कर्म यज्ञ को किया, जिसमें विद्यार्थियों व युवाओं ने बढ़चढ़कर भाग लिया।युवा विद्वान कपिल शास्त्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि,जिस क्रिया से शरीर , मन और आत्मा उत्तम हो, उसे संस्कार कहते हैं। जैसे सुनार अशुद्व सोने को अग्नि में तपाकर उसे शुद्ध कर देता है। वैसे ही वैदिक संस्कृति में उत्पन्न होने वाले बालक को संस्कारों की भट्टी में डालकर उसके दुर्गुणों को निकालकर उसमें सदगुणों को डालने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने उत्तम सन्तान के निर्माण के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार जीवन यापन करने का आह्वान किया
और कहा कि,मादक द्रव्य, महा दुर्गन्ध, अंडा, बुद्धिनाशक पदार्थों को छोड़कर जो शक्ति, आरोग्य, बल, बुद्धि, पराक्रम और सुशीलता को प्राप्त करायें ऐसे घृत, दुग्ध, मिष्टान्न, अन्नधान आदि श्रेष्ठ पदार्थों का सेवन करें ,जिससे स्वस्थ एवं उत्तम गुण युक्त सन्तान जन्म लेगी।इस अवसर पर ,मोहित शास्त्री, अथर्व आर्य,शिवम आर्य ,शांतनु आर्य,राहुल, देवेन्द्र आर्य,विनीत कुमार,रोहित कुमार धीरज आर्य,कुश आर्य आदि उपस्थित रहे।