अमेरिका में गूगल ने लाखों यूजर की निजता के उल्लंघन मामले में अपनी गलती मानते हुए 500 करोड़ डॉलर (40 हजार करोड़ रुपये) में समझौता किया है। 2020 में अमेरिकी लॉ फर्म बॉइज शिलर फ्लेक्सनर ने गूगल के खिलाफ निजता के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इनकॉग्निटो मोड में भी यूजर की गतिविधिायों पर नजर रखते हुए निजता के हनन का आरोप लगाया। इसके साथ ही 500 करोड़ डॉलर का वाद दायर किया था।
सुनवाई कर रहीं ओकलैंड की डिस्ट्रिक्ट जज यवोन गोंजालेज रोजर्स ने मुकदमे के निपटारे और दोनों पक्षो में औपचारिक समझौते के लिए 5 फरवरी, 2024 की तारीख तय की है। 2020 में तमाम गूगल यूजर की तरफ से लॉ फर्म ने गूगल के खिलाफ अपनी ही सेवा शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया था। शुरुआत में गूगल इन आरोपों को नकारता रहा। इस साल की शुरुआत में भी गूगल ने अदालत से इस मामले को बेबुनियाद बताते हुए खारिज करने की मांग की थी। पिछली सुनवाई में जज रोजर्स ने गूगल के प्राइवेसी स्टेटमेंट को पढ़ते हुए कहा, यह एक बड़ा सवाल है कि क्या गूगल ने इनकॉग्निटो मोड में ब्राउज करने पर उपयोगकर्ताओं का डाटा एकत्र नहीं करने का कानूनी रूप से बाध्यकारी वादा किया था। न्यायाधीश ने गूगल की गोपनीयता नीति और कंपनी के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि गूगल ने अपनी ही सेवा शर्तों का उल्लंघन किया है।
गूगल की तरफ से इनकॉग्निटो मोड को यह कहकर प्रचारित किया गया कि यह निजता को पूरी तरह से सुरक्षित रखता है। हालांकि, लॉ फर्म ने तमाम लोगों के हवाले से दावा किया कि उन्होंने जब इस मोड में कुछ चीजें खोजीं, तो तुरंत ही उनको संबंधित उत्पादों के विज्ञापन दिखने लगे, जिससे साबित होता है कि गूगल और उसके थर्ड पार्टी विज्ञापनदाता उन्हें इनकॉग्निटो मोड में भी ट्रैक कर रहे थे।
समझौते की नियम-शर्तें अभी तय नहीं की गई हैं। हालांकि, पिछली सुनवाई में लॉ फर्म के वकील की तरफ से मांग की गई थी कि गूगल उन सभी यूजर को न्यूनतम 5,000 डॉलर का मुआवजा दे, जिनका डाटा ट्रैक किया। अमेरिका में इस महीने यह दूसरा बड़ा मामला है, जिसमें गूगल ने समझौता किया है। दिसंबर की शुरुआत में गूगल ने एंटीट्रस्ट (प्रतिस्पर्धा) कानून के उल्लंघन मामले में भी 70 करोड़ डॉलर में समझौता किया है।