अगस्त में केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ जब विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था तो नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल ने भाजपा सरकार का समर्थन किया था। इसके अलावा भी कई अन्य मौकों पर बीजद भाजपा सरकार का समर्थन कर चुकी है। यही वजह है कि जब लोकसभा चुनाव और ओडिशा में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के कयास लग रहे हैं। भाजपा ने अब इन कयासों को दरकिनार करते हुए बीजद के साथ गठबंधन से इनकार किया है।
शनिवार को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की बैठक नई दिल्ली में हुई। इस बैठक के बाद ओडिशा भाजपा की उपाध्यक्ष और सांसद अपराजिता सारंगी ने बताया कि कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए ऐसी अफवाह उड़ाई थी कि भाजपा और बीजद में गठबंधन हो सकता है, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता। सारंगी ने बताया कि भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में 50 फीसदी वोट पाने का लक्ष्य रखा है।
बीजद ने अविश्वास प्रस्ताव पर केंद्र की भाजपा सरकार का समर्थन करने के साथ ही दिल्ली सर्विस बिल पर भी सरकार का समर्थन किया था। इसके अलावा बीजद नेतृत्व केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर भी नहीं रहा है। अगस्त में ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी नवीन पटनायक से मुलाकात की थी। इस बैठक में भाजपा संगठन और ओडिशा भाजपा के भी कई नेता शामिल हुए थे। इसके बाद दोनों पार्टियों में गठबंधन की चर्चाएं तेज हो गईं थी। हालांकि अब भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह बीजद के साथ कोई गठबंधन नहीं करने जा रही है।
भाजपा और बीजद की सीधी टक्कर होगी। भाजपा राज्य की सभी 147 विधानसभा सीटों और 21 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। भाजपा ओडिशा में प्रचार के दौरान केंद्र सरकार की 157 कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जनता को जानकारी देगी। भाजपा को विश्वास है कि अगले विधानसभा चुनाव में वे राज्य में भाजपा की सरकार बनाने में सफल रहेंगे। भाजपा, बीजद को चिट फंड घोटाले के मुद्दे पर घेरने की योजना बना रही है, साथ ही बीते नौ साल में राज्य सरकार को केंद्र से 18 लाख करोड़ रुपये मिले हैं, भाजपा, राज्य की बीजद सरकार से इस पैसे का हिसाब जनता के देने की मांग कर सकती है।