नवाज शरीफ के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते बिलावल भुट्टो

Date: 2024-02-13
news-banner

पाकिस्तान में चुनाव नतीजों का एलान हो चुका है। नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पीपीपी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत हो रही है। अब मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पीएमएल-एन के साथ गठबंधन को लेकर पीपीपी में दो फाड़ है और आम सहमति नहीं बन पा रही है।  पीपीपी का एक धड़ा चाहता है कि पीएमएल-एन के साथ सत्ता में भागीदारी की जाए। वहीं दूसरा धड़ा पीटीआई के साथ विपक्ष में बैठने के पक्ष में है। 

पाकिस्तान पीपल्स पार्टी पीपीपी की सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमेटी की सोमवार को इस्लामाबाद में बैठक हुई। बैठक में कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका। पीपीपी की नेता शेरी रहमान ने सोमवार की रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पीपीपी सभी पार्टियों से बात करेगी और एक कमेटी का गठन किया जाएगा। ये कमेटी मंगलवार को गठित की जाएगी। पीपीपी की सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक मंगलवार को फिर से होगी।  

पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी, नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। बिलावल के साथ ही पीपीपी की सेंट्रल  एग्जीक्यूटिव कमेटी के कई सदस्य भी गठबंधन कर सत्ता पर काबिज होने के पक्ष में नहीं हैं। दरअसल बिलावल भुट्टो और पार्टी के कई अन्य नेताओं का मानना है कि नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन इन दिनों विश्वसनीयता की कमी से जूझ रही है। आम जनता ने इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में जिताकर अपनी नाराजगी जता भी दी है। ऐसे में बिलावल चाहते हैं कि विपक्ष में रहकर नवाज शरीफ की सरकार को घेरा जाए। 

जहां बिलावल भुट्टो पीएमएल-एन के साथ गठबंधन करना नहीं चाहते, वहीं उनके पिता और पीपीपी के अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी पीएमएल-एन नेताओं के साथ बातचीत में जुटे हैं। ऐसी चर्चाएं हैं कि पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच ढाई-ढाई साल पीएम पद रखने की भी बात चल रही है। साथ ही अहम मंत्रालयों के बंटवारे पर भी बात चल रही है। साफ है कि सरकार बनाने को लेकर पीपीपी में रजामंदी नहीं बन पा रही है और बिलावल भुट्टो अपने पिता से इतर अपने सिद्धांतों के आधार पर पार्टी को चलाना चाहते हैं।  

बिलावल भुट्टो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं और वह अक्सर अपने बयानों में पाकिस्तान में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के पक्ष में बोलते रहते हैं। इमरान खान के खिलाफ हो रही सख्त कार्रवाई पर भी उन्होंने नाराजगी जताई और कहा कि राजनीति में इतने निचले स्तर पर नहीं उतरना चाहिए। 

पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर सफदर अब्बास का मानना है कि बिलावल भुट्टो जरदारी राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।  पाकिस्तान की राजनीति में अगले 48 घंटे अहम हैं क्योंकि अगर पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच गठबंधन सरकार बनती है भी तो ऐसी आशंका है कि यह ज्यादा लंबी न चले। 

Leave Your Comments