मानवीय संगठन को पिछले साल सात अक्तूबर को हमास द्वारा इस्राइल पर हमला करने के बाद से ही आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि इस्राइल ने दावा किया था कि मानवीय संगठन के 12 कर्मचारी भी देश पर हुए हमलों में शामिल थे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने एक अहम कदम उठाया है। उन्होंने फलस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) का मूल्यांकन करने के लिए एक स्वतंत्र समीक्षा समूह का गठन किया है। समूह यह पता लगाएगा कि एजेंसी अपनी शक्तियों के भीतर सब कुछ कर रही है या नहीं।
मानवीय संगठन को पिछले साल सात अक्तूबर को हमास द्वारा इस्राइल पर हमला करने के बाद से ही आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि इस्राइल ने दावा किया था कि मानवीय संगठन के 12 कर्मचारी भी देश पर हुए हमलों में शामिल थे। आरोपों के कारण अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और स्वीडन सहित एक दर्जन से अधिक देशों ने संगठन की फंडिंग रोक दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने एलान किया है कि समीक्षा समूह का नेतृत्व फ्रांस की पूर्व विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना करेंगी, जो तीन शोध संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगी। ये संगठन स्वीडन का राउल वॉलनबर्ग संस्थान, नॉर्वे का मिशेलसेन संस्थान और डेनिश मानवाधिकार संस्थान है।
14 फरवरी 2024 को अपना काम शुरू करेगा और मार्च 2024 के अंत में यूएन महासचिव को एक अन्तरिम रिपोर्ट सौंपेगा। इस समीक्षा की अंतिम रिपोर्ट अप्रैल 2024 के अंत तक पूरी होने की संभावना है। बाद में अंतिम रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। यह समीक्षा समूह, इस वर्ष के शुरू में यूएनआरडब्ल्यूए कमिश्नर-जनरल लजारिनी द्वारा किए गए अनुरोध पर गठित किया गया है।
इस समीक्षा समूह को गठित करने का फैसला यह जानने के लिए किया गया है कि एजेंसी में किसी तरह के गंभीर आरोप सामने आने के बाद, उनके संबंध में कार्रवाई करने की क्या व्यवस्था मौजूद है। आखिर एजेंसी अपनी शक्ति के भीतर सब कुछ कर रही है या नहीं।
हमास ने बीते साल सात अक्तूबर को दक्षिण इस्राइल पर हमला किया था। एक साथ सैकड़ों मिसाइलों को दागा गया था। साथ ही जमीनी हमला भी किया गया था। आतंकवादियों ने 1200 इस्राइली नागरिकों की हत्या कर थी। 250 लोगों को बंधक बना लिया था, जिनमें से आधे अभी भी हमास के कब्जे में हैं। वहीं, युद्ध में इस्राइली सेना ने गाजा के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया है। करीब 24 हजार फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस्राइल के आक्रमण के बाद से गाजा की 23 लाख की आबादी में 85 फीसदी लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। एक चौथाई आबादी भुखमरी का सामना कर रही है।