जब सारा सोसल मीडिया और मीडिया आडवाणी जी को कोई बेचारा सिद्ध कर रहा था तो कोई फूफा टाइप के मीम बना रहा था.
Date: 2024-02-14
2017 के राष्ट्रपति चुनाव की तश्वीर है जब सारा सोसल मीडिया और मीडिया आडवाणी जी को कोई बेचारा सिद्ध कर रहा था तो कोई फूफा टाइप के मीम बना रहा था. इन सबसे परे वह राष्ट्रपति के चुनाव में पार्टी के दिये निर्देशों का पालन करते हुवे पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में लाइन लगा कर मतदान कर रहे थे। यह कहलाता है सिद्धांतवाद।
पार्टी द्वारा उनकी बेटी को सांसदी चुनाव में टिकट दिए जाने की खबरें आ रही थीं. पता था आडवाणी जी नहीं मानेंगे. सारी ज़िंदगी जिस परिवार वाद का विरोध किया अंत में अपने ही परिजनों के लिए समझौता आडवाणी जी नहीं करेंगे. सिद्धांत।
बँटवारे के समय वह पाकिस्तान से आये. पर सम्पन्न थे. ठीक ठाक. उस दौर में हवाई जहाज़ से आये थे. चाहते तो अन्य लोगों की भाँति कांग्रेस ज्वाइन कर एक के सौ बनाते. नहीं किया. सिद्धांत।
शून्य से शिखर पर पहुँचाना विजन होता है. जब सोचा भी नहीं जा सकता था कि कांग्रेस का कोई विपक्ष भी हो सकता है, तब शून्य से एक पार्टी का गठन करना और फिर उसे शीर्ष पर पहुँचाना - विजन था।
सदैव समय से आगे रहे. जब किसी ने न सोचा था तब रथ यात्रा की राम मंदिर के लिये. पूरे देश में माहौल बनाया श्री राम मंदिर का. अंततः श्री राम का भव्य मंदिर बना. पाँच सौ साल के इतिहास को अंतिम विजय द्वार तक पहुँचाया - विजन था।
हवाला कांड में जरा सा धब्बा लगते ही इस्तीफ़ा दे दिया गृह मंत्री पद से. जब तक कलंक की कालिख नहीं मिटती पद नहीं लेंगे. सिद्धांत थे।
वह राजनीति जहां सत्ता ही सब कुछ होती है. अंत में प्रधान मंत्री पद की दावेदारी को लेकर मोदी जी से लाख मतभेद रहा हो. पर कभी भी पार्टी गाइडलाइन के ख़िलाफ़ जाकर पार्टी के ख़िलाफ़ कोई काम नहीं किया. यह कहलाते हैं सिद्धांत।
यदि यह सीखना हो कि व्यक्ति कुछ भी सोंच सकता है और सिद्धांत पूर्वक चलते हुवे अंत में उसे प्राप्त कर सकता है, उसके सबसे बड़े उदाहरण लाल कृष्ण आडवाणी जी हैं।
आडवाणी जी को भारत रत्न हर उस भारतीय को प्रेरणा देगा जो एक विजन रखता है और सिद्धांतों की बात करता है। दिनेश सिंह हिसामपुर डोभी केराकत जौनपुर उत्तर प्रदेश